सरकारी नौकरी का मोह छोड़ पकड़ी स्वरोजगार की राह अब युवाओं के लिये प्रेरक बन रही देवेश्वरी

गोपेश्वर : उत्तराखण्ड में रोजगार के लिये सरकारी नौकरी को लेकर युवाओं को प्रयास करते आमतौर पर देखा जा सकता है। लेकिन ऐसे समय में चमोली जिले की देवेश्वरी ने युवाओं को नई सोच और राह दिखाने का काम किया है। देवेश्वरी ने सरकारी नौकरी का मोह छोड़ स्वरोजगार की राह पकड़ी है। जिससे अब पहाड़ी के युवाओं देवेश्वरी को प्रेरक के रुप में देख रहे हैं। देवेश्वरी राज्य के विभिन्न ट्रैकिंग रुटों पर पर्यटकों को ट्रैकिंग करवा कर 35 हजार रुपये मासिक की आय अर्जित कर रही है।
गोपेश्वर निवासी हीरा सिंह बिष्ट और माता चन्द्र कला बिष्ट की पुत्री देवश्वरी की पढाई गोपेश्वर में हुई। इंटर स्तर की पढाई पूर्ण करने के बाद देवश्वरी ने इंजीनियरिंग का डिप्लोमा पूर्णकर वर्ष 2009 में ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता परियोजना में अवर अभियंता के पद पर सेवा शुरु की। 3 साल तक परियोजना में कार्य करने के बाद उरेडा में बतौर अवर अभियंता चमोली फिर रूद्रप्रयाग, गौंडार लघु जल विद्युत परियोजना व टिहरी के घुत्तु-घनसाली में सेवाएं दी। लेकिन स्वरोजगार की चाह में देश्वेश्वरी ने वर्ष 2015 में मैंने इंजीनियर की नौकरी छोड टै्रकिंग व्यवसाय शुरु किया। जिससे वर्तमान में जहां देवेश्वरी करीब 4 से 5 लाख की सालाना आय प्राप्त कर रही हैं। वहीं बड़े पैमाने पर गाइड, पोर्टर, कुक के रुप में स्थानीय युवाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
इन ट्रैकों की करवा चुकी देवेश्वरी यात्रा—
पंच केदार, पंच बदरी, फूलों की घाटी, हेमकुंड, स्वर्गारोहणी, कुंवारी पास, दयारा बुग्याल, पंवालीकांठा, पिंडारी ग्लेशियर, कागभूषंडी, देवरियाताल, घुत्तु, दयारा, होमकुंड, वेदनी, रुपकुंड आदि।
क्या कहती है देवेश्वरी—–
वर्ष 2015 में नौकरी छोड़ने के मेरे फैसले से मेरे परिजन खुश नहीं थे। लेकिन माता-पिता ने मेरे फैसले पर सहमति जताई तो व्यवसाय शुरु किया। आज मेरे अपने शौक को पूरा करने के साथ ही बेहतर आय कमा रही हूँ। साथ कई अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध हो रहा है। युवा को पहाड़ छोड़ने की जगह स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अपनाना चाहिए। जिससे पहाड़ों के पलायन की समस्या खत्म हो सकती है। साथ ही पर्यटन व्यवसाय भी बेहतर हो सकेगा।