जल संस्थान और पेयजल निगम के बीच उलझे ग्रामीण पानी को भटक रहे दर-ब-दर

कर्णप्रयागः ब्लॉक के चटंग्याला गांव के ग्रामीण दो विभागों के बीच रख-रखाव और निर्माण की प्रक्रिया के बीच उलझ कर पेयजल आपूर्ति के लिये भटकने को मजबूर हो गये हैं। यहां गांव में जहां जल संस्थान के अनुरक्षण वाली पेजयल लाइन आपदा से क्षतिग्रस्त हो गई है। वहीं पेयजल निगम की ओर से हर घर जल, हर घर नल पेयजल योजना का अभी निर्माण नहीं हो सका है। ऐसे में ग्रामीणों को पेयजल की आपूर्ति के लिये प्राकृतिक जल स्रोतों की दौड़ लगानी पड़ रही है।
स्थानीय ग्रामीण जगदीश रावत, अनिल सिंह रावत, धन सिंह रावत, मुकेश बिष्ट, उमेद सिंह और रविन्द्र रावत का कहना है कि पेयजल लाइन के क्षतिग्रस्त होने से जहां ग्रामीणों को स्वयं की पानी की आपूर्ति के लिये दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। वहीं मवेशियों के लिये भी पानी की आपूर्ति करना चुनौती बना हुआ है। पानी की आपूर्ति के लिये ग्रामीणों को प्राकृतिक जल स्रोतों से पेयजल ढोना पड़ रहा है। बता दें कि गांव को पूर्व में पेयजल आपूर्ति करने वाली पेयजल लाइन का रख-रखाव जहां जल संस्थान के जिम्मे है। वहीं हर घर जल हर घर नल योजना के तहत पेयजल निगम की ओर से गांव में नई पेयजल लाइन का निर्माण किया जाना है। ऐसे में पुरानी पेयजल लाइन के क्षतिग्रस्त होने और नई का निर्माण न हो पाने के चलते ग्रामीणों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। ग्रामीणों ने मामले में जिला प्रशासन से हस्तक्षेप कर क्षतिग्रस्त पेयजल लाइन का सुधारीकरण कर पेयजल आपूर्ति सुचारु करने की मांग उठाई है।
चटंग्याल गांव की पुरानी पेयजल लाइन के रख-रखाव का जिम्मा जल संस्थान का है। जबकि गांव की पेयजल किल्लत को देखते हुए विभाग की ओर से गांव में हर घर जल हर घर नल योजना के तहत वित्तीय प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। जल्द ही गांव में नई पेयजल लाइन का निर्माण करवाया जाएगा।
आर आर वर्मा, पेयजल निगम, कर्णप्रयाग।