अनसूया मेले के लिये मंदिर में तैयारियां पूरी, निःसंतान दम्पतियों के लिये 17 दिसम्बर हो अनुष्ठान

चमोली : चमोली की मंडल घाटी स्थित सती मां अनुसूया देवी मंदिर में 17 व 18 दिसम्बर (शुक्रवार व शनिवार) को मेले आयोजन किया जाएगा। जिसे लेकर जिसे लेकर यहां मंदिर समिति के साथ ही प्रशासन और पुलिस ने सभी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं।
अनसूया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद राणा और भगत सिंह बिष्ट ने बताया कि संतान कामना के साथ-साथ भगवती मां अनसूया और दत्तात्रेय भगवान की उपासना के लिए संपूर्ण भारत से लोग यहां आते है। ऐसे में संतान की कामना लेकर आये दंपत्तियों के पंजीकरण, स्नान व पूजा के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गई हैं। वहीं सुरक्षा को लेकर पुलिस और प्रशासन की ओर से यहां पुख्ता इंतजाम किये गये हैं।
पौराणिक मान्याता के अनुसार संतान कामना लेकर सती माँ अनसूया के दर पहुंचते हैं भक्त
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता अनसूया ने अपने तप के बल पर ’त्रिदेव’ (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुनः उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुख वाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना भी की गई है। मंदिर के पुजारी प्रदीप सेमवाल का कहना है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेनी चाही थी, तब उन्होंने तीनों को शिशु बना दिया। यही त्रिरूप दत्तात्रेय भगवान बने। उनकी जयंती पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।

कैसे पहुंचे अनसूया देवी मंदिर
चमोली-ऊखीमठ सड़क पर मंडल गांव से चार किमी पैदल दूरी तय कर सुंदर और खूबसूरत जंगल के बीच अनसूया मंदिर पहुंचा जा सकता है। यहां मंदिर परिसर में स्थित पेड़ पर अटका पत्थर जहां तीर्थयात्रियों के कौतूहल का केंद्र हैं। वहीं मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित अत्रि मुनी आश्रम जल प्रपात भी प्रकृति की अद्वितीय कलाकारी है। यह राज्य का एकमात्र प्रपात है, जिसकी परिक्रमा की जा सकती है।